रहस्यमयी घड़ी – एक डरावनी कहानी (Horror Story)

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक प्राचीन हवेली थी। यह हवेली बहुत ही पुरानी और मजबूत थी और उस पर समय के साथ घना और मखमली काई चढ़ गया था। गांव वाले उसे ‘भूतिया हवेली’ के नाम से भी पुकारा करते थे। क्योंकि वहां पर अक्सर अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती थीं और रात के समय में कुछ हलचलें भी हुआ करती थीं। अक्सर ही वहां के लोग कहते थे कि उस हवेली में एक रहस्यमयी घड़ी पड़ी हुई है जो किसी भी कीमत पर छेड़ी नहीं जानी चाहिए। यदि कोई भी ऐसा करने की जुरर्रत करेगा तो वह मुसीबत में फंस जाएगा।
सुलेखा नाम की एक पढ़ी-लिखी लड़की इस गांव में अपने परिवार के साथ रहती थी। वह बहुत ही जिज्ञासु और साहसी भी थी, और गांव वाले जो बातें किया करते थे उस हवेली के बारे में, वे उसे बहुत आकर्षित करती थीं। सुलेखा को हमेशा से ही रहस्यों को जानने और सुलझाने का शौंक था। फिर एक दिन, उसने तय किया कि वह खुद उस हवेली में जाएगी और देखेगी कि वहां वाकई कोई रहस्य छिपा है या फिर गांव वाले यूँही बातें करते हैं।
वह रविवार का दिन था, और सुलेखा ने अपने घर में कहा की वह अपनी मित्र जया के घर जा रही है। परन्तु, उसने अपने दोस्तों से कहा कि वह हवेली जा रही है, लेकिन कोई भी उसके साथ जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। क्योंकि वे सब भी डरते थे वहां जाने से और बार-बार उसे मना करते थे। लेकिन सुलेखा ने उनकी बातें नजरअंदाज की और फिर वह अकेले ही हवेली की ओर बढ़ी।
हवेली के पास पहुंचते ही सुलेखा को एक अजीब सा खौफ महसूस हुआ, लेकिन उसने अपनी हिम्मत जुटाई और अंदर कदम रखा। हवेली का दरवाजा बहुत ही जाम हुआ पड़ा था, क्योंकि वहां पर बहुत समय से कोई भी नहीं गया था। जैसे ही उसने जोर लगाकर दरवाजा खोला, एक पुरानी सी गंध आई, जो उसे कुछ डरावनी भी लगी। लेकिन फिर भी वह धीरे-धीरे हवेली के अंदर बढ़ी, और उसकी आंखें हवेली के हर कोने की तलाश में थीं।
कभी-कभी हवेली के अंदर कुछ आवाजें सुनाई देतीं, जैसे कोई बर्तन गिरा हो, जैसे कोई बिल्ली वहां पर रो रही हो या फिर कोई धीरे-धीरे चल रहा हो। लेकिन सुलेखा इन सब चीजों से बेखबर थी। वह सटीक रास्ता ढूंढते हुए धीरे धीरे हवेली के एक कमरे तक पहुंची, जहाँ पर बिल्कुल अंधेरा था। वह मन ही मन में थोड़ी घबराई भी हुई थी। कमरे के बीचोबीच एक पुरानी सी मेज पर एक घड़ी रखी हुई थी। घड़ी के आकार में कोई खामोशी सी थी। जैसे वह समय से बाहर हो। उस घड़ी का डायल सोने जैसा चमक रहा था, और उसके कांटों की गति बहुत ही धीमी थी, जैसे समय खुद थम गया हो।
सुलेखा की दिल की धड़कन भी तेज हो गई थी। उसे उस समय गांव वालों के बातें भी याद आ रहीं थी। फिर भी उसने धीरे से उस घड़ी को अपने हाथ में उठाया। जैसे ही उसने घड़ी को उठाया, हवेली में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया। अचानक, घड़ी की आवाज गूंजने लगी “टिक टिक टिक टिक”, और कमरे की दीवारों पर परछाईयाँ चलने लगीं। सुलेखा ने घड़ी को छोड़ने की कोशिश की, लेकिन मानो जैसे वह घड़ी उसकी मुट्ठी में बंधने लगी थी।
फिर अचानक से घड़ी के कांटे घुमने लगे और कमरे में कुछ रौशनी फैलने लगी। सुलेखा के सामने अचानक एक भयानक दृश्य उभर आया। एक व्यक्ति, जो बहुत ही लम्बा, डरावना और काले कपड़े पहने हुए था, उसकी ओर बढ़ रहा था। लेकिन उसका चेहरा धुंधला था, और उसकी बड़ी बड़ी आंखों में अजीब सी लालिमा थी। जैसे उसकी आँखों में एक दर्द था। उसकी आवाज गहरी और बहुत ही डरावनी थी, “तुमने इस घड़ी को छुआ। अब तुम्हारे पास यहाँ से निकलने का कोई रास्ता नहीं है। और ना ही तुम्हें यहाँ पर कोई बचाने आएगा।”
सुलेखा अब बहुत घबराते हुए पीछे की ओर हटने लगी, उसके माथे पर एक दम पसीना आ गया। लेकिन जैसे ही वह घड़ी को छोड़ने की कोशिश करती, वह घड़ी खुद को उसके हाथ में मजबूती से कसने लगती। अचानक, वह व्यक्ति उसके करीब आकर बोला, “यह घड़ी मेरे जीवन का हिस्सा थी, और क्यूंकि तुमने इस घड़ी को छू लिया है तो अब यह तुमसे भी जुड़ चुकी है।”
सुलेखा डर के मारे कांप रही थी और उसे अब कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह क्या करे? लेकिन, उसके अंदर एक शक्ति जागी। उसने ठान लिया कि अब वह इस घड़ी के रहस्य को सुलझाकर ही रहेगी। उसने घड़ी को अपनी पूरी ताकत से खींचा और जैसे ही उसने घड़ी का काँच तोड़ा, एक बहुत तेज़ आंधी आई। हवेली की दीवारें हिलने लगीं और सभी दरवाजे जोर जोर से खड़कने लगे, और उसी समय वह काली छाया गायब हो गई।
आंधी के थमते ही सुलेखा को यह महसूस हुआ कि घड़ी के साथ जुड़ा हर रहस्य अब खत्म हो गया है। वह घड़ी अब टूट चुकी थी, और हवेली में घना सन्नाटा छा गया। उसने कुछ राहत की सांस ली। उसने डरते डरते दबे पाओं हवेली से बाहर निकलते हुए पीछे मुड़कर देखा, तो पाया कि अब वह जगह वैसी नहीं रही थी, जैसी पहले थी। उसे एक अजीब सी शांति का अहसास हुआ।
गांव लौटते समय सुलेखा के मन में यह सवाल था कि आखिर वह घड़ी क्यों इतनी महत्वपूर्ण थी? और उस अजनबी व्यक्ति का क्या हुआ और घड़ी के साथ उसका क्या संबंध था? जो उसे घड़ी के बारे में बता रहा था। लेकिन उसे यह भी महसूस हुआ कि कभी-कभी कुछ रहस्य ऐसे भी होते हैं, जो कभी सुलझाए नहीं जा सकते।
उस दिन के बाद से, गांव वाले फिर कभी हवेली के पास जाने की भी हिम्मत नहीं कर पाए, और सुलेखा के लिए भी वह घड़ी एक याद बनकर रह गई, जो उसने कभी अपनी आंखों से देखी थी। लेकिन, उसका रहस्य शायद कभी भी पूरी तरह से उजागर नहीं हो पाएगा।