क्या होते हैं माता रानी के नवरात्रे ? जानिए कैसे बिठाएं कंजकें ?

Mata Rani Ke Navratre

प्रिय मित्रों, माता रानी के नवरात्रे (Mata Rani Ke Navratre) का मतलब है की माँ जगदम्बे अर्थात माँ शेरांवाली के 9 दिन जब माता को प्रसन्न किया जाता है उनके भक्तों द्वारा। इन नौ दिनों में माता रानी के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए हर वह प्रयत्न करते हैं जो वह कर सकते हैं। जैसे कि माता की जोत घर में जलाना, माता के लिए व्रत रखना और अपने मंदिर को सजाना आदि। कई भक्त अखंड जोत जलाते हैं और कई सुबह और शाम को ही जोत करते हैं। नवरात्रों में भक्तों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं होता। माता के मंदिरों में माता रानी के भक्तों का उनके दर्शन करने के लिए आना जाना देखने योग्य होता है।

मंदिरों को ऐसे सजाया जाता है जैसे मानो देख कर मन खुश हो जाता है। हर तरफ “जय माता दी” के जयकारे लग रहे होते हैं और माता के भजन (Mata Ke Bhajan) सुनाई पड़ रहे होते हैं। माता का प्रसाद (लंगर) खाने के लिए भक्तों की लम्बी लम्बी लाइने लगी होती है। मंदिरों में महिलाओं की सुरक्षा का विशेष रूप से प्रबंध होता है जिससे की उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। नवरात्रों में कई माता के भक्तों ने जागरण करवाने की सुखना भी की होती है और वह बहुत ही धूम धाम से महामाई का जागरण करवाते हैं।

चैत्र नवरात्र की तालिका –

मां शैलपुत्री की पूजा (घटस्थापना)
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
मां चंद्रघंटा की पूजा
मां कुष्मांडा की पूजा
मां स्कंदमाता की पूजा
मां कात्यायनी की पूजा
मां कालरात्रि की पूजा
मां महागौरी की पूजा
मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी

नवरात्र के 9 दिनों का महत्व

चैत्र नवरात्रि के इन 9 दिनों में माता जगदंबे रानी जी के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। पूरे भारत वर्ष में इस पावन पर्व को बड़े ही धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले ही दिन माता शैलपुत्री जी की पूजा अर्चना की जाती है और इसके साथ साथ घटस्थापना भी की जाती है। इस दिन माता रानी की अखंड ज्योति भी जलाने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा कहते हैं कि जो भी भक्त इन नौ दिनों में माता की पूजा पूरे सच्चे मन से करता है और व्रत भी रखता है तो माता प्रसन्न हो कर उसके मन की इच्छा को पूर्ण करती हैं। चैत्र नवरात्रि इसलिए भी खास हो जाती हैं क्योंकि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है और वो भी हिंदू पंचांग के अनुसार।


ऐसा कहा जाता है कि इन नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा माँ अपने भक्तों के घर में निवास करती हैं और ऐसे में सभी भक्तों को इन बातों का विशेष ध्यान रखना होता है –

  1. आपको सबसे पहले तो करना होगा साफ़ सफाई का काम क्यूंकि माता रानी जी को सफाई अच्छी लगती है और जहाँ पर सफाई होती है वहीँ पर माता रानी जी का वास होता है।
  2. अपने घर या दफ्तर में जहाँ पर भी आपने पूजा करनी है वहां पर भगवती माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती जी के चित्रों की स्थापना कर लें और सुगन्धित फूलों से सजाकर पूजा अर्चना करें।
  3. माता के नौ दिनों का नवरात्रि का व्रत रखें और अगर आप ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं तो, कम से कम पहले, चौथे और आठवें दिन का उपवास करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो माँ जगदम्बे जी की असीम कृपा आप पर बनी रहेगी।
  4. माता रानी के नवरात्रे के इन नौ दिनों में पूर्ण रूप से माता का जाप करें सच्चे मन से और हमेशा जाप करते हुए महामाई जी के दर्शन अपने मन में ले कर आएं।
  5. दुर्गा सप्तशती का पाठ आपको नवरात्रि के पूरे नौ दिन करना है जिससे माता रानी जी प्रसन्न होंगी और आपको आशीर्वाद मिलेगा।
  6. याद रखें की जब भी आप पूजा के लिए बैठें तो आपने लाल रंग के आसान का प्रयोग करना है। जब आप अपनी पूजा संपन्न कर लें तो उस आसान को अच्छी तरह से तय लगा के किसी सुरक्षित स्थान पर रख देना है।
  7. जब भी आप नवरात्री में पूजा के लिए बैठें तो आपके वस्त्र भी लाल रंग होने चाहिए। क्योंकि जब हम लाल वस्त्र धारण करते हैं तो यह शुभ माना जाता है।
  8. अष्टमी और राम नवमी के दिन कंजकें बैठना अति आवश्यक है। कंजकें को भोजन करवाना बहुत ही शुभ माना जाता है क्यूंकि छोटी छोटी लड़कियों को माता रानी जी का रूप ही कहा जाता है। अब यदि आप यह सभी कार्य बहुत ही मन और सच्ची आस्था से करते हैं तो अवश्य ही आपको इसका लाभ प्राप्त होगा।

कैसे बिठाएं कंजकें ? – Kaise Bithayein Kanjanke

सबसे पहले तो आपको यह सोचना है की आपको कंजके किस दिन यानि की सतमी, अष्टमी या फिर राम नवमी वाले दिन करनी हैं। उसके बाद यह की आपको कम से कम कितनी कंजके बिठानी हैं पांच, सात या ग्यारह ? और इसके साथ ही एक लेंकड़ा यानि की एक लड़का भी होना चाहिए। अब यह सब करने के बाद आपको कंजके बिठाने की त्यारी मतलब की उनके लिए आपको क्या क्या भोजन बनाना है यह भी सोचना होगा।

वैसे तो जो धर्म के अनुसार होना चाहिए वह तो छोले, पूरी और हलवा होता है परन्तु, आज कल तो माता रानी के भक्त अपने अनुसार कुछ भी जो उन्हें अच्छा लगता है कंजको के लिए वह कर रहे हैं। इसके बाद अब आपको छोटी छोटी कन्यायों को आमंत्रित करना है।

सबसे पहले आपको उनके पैर धोने हैं अपने हाथों से अच्छी तरह से और फिर एक साफ़ कपडे से पैरों को सुखाना भी है और उनका आशीर्वाद लेना है। क्योंकि ऐसी मान्यता है की उस दिन उनमें माता का ही रूप होता है। और यह सब आपने एक दम श्रद्धा भाव से करना है तभी आपके ऊपर जगदम्बे महामाई जी की असीम कृपा होगी। उसके बाद जब वह आपके घर में प्रवेश कर जाएं तब उनके लिए साफ़ जगह पर एक साफ़ सी चादर बिछानी है और उन्हें एक लाइन में बिठाना है।

अब आपको अपने सिर को किसी कपडे से ढक कर रखना है। उसके बाद सभी कन्याओं के हाथ में मौली का धागा बांधना है और माथे पर रौली से तिलक करना है। अब हर कंजक के लिए भोग का इंतज़ाम करें और अलग अलग थाली में परोसें। सभी से कहें की वह कुछ न कुछ ज़रूर अपने मुख से लगाएं। वह जितनी देर तक बैठना चाहें उतनी देर तक उन्हें बैठा कर रखें और उनसे कुछ न कुछ बात अवशय ही करते रहें।

अब जब उनके जाने का समय हो तो आपको अपने घर के दरवाजे में खड़ा होना है और एक एक करके सभी के पैरों को छूना है और फिर से उनका आशीर्वाद लेना है। इस तरह से आपको कंजके बिठाने का फल अवशय ही मिलेगा और माता रानी जी का स्नेह भी आपको मिलेगा।

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