क्यूँ कभी भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए? बुरा सोचने के नुकसान (Negative Thinking)
प्यारे दोस्तों, जी हाँ यह एक दम सही बात है कि हमें कभी भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए यहाँ तक कि बुरा करना तो दूर कि बात है अपने मन में भी कभी किसी के लिए किसी भी तरह के बुरे ख्याल को भी नहीं आने देना चाहिए। हमारी सोच ही हमारे लिए एक बहुत बड़ी शक्ति है। क्यूंकि हम जैसा सोचते हैं वैसे ही करते भी हैं। वो कहते हैं ना-
“जो दूसरों के लिए खडडा खोदते हैं, वह एक दिन स्वयं ही उसमें गिर जाते हैं”
अर्थात, अगर हम यह सोचें की किसी का बुरा सोचने या करने से हमारा भला हो जाएगा तो यह हमारी बहुत बड़ी भूल है। एक न एक दिन हमें उसका हिसाब देना ही होता है। यह भी एक दम सत्य है कि हमारे बुरा सोचने से किसी का बुरा होता भी नहीं है। अपितु, यह हमारे लिए ही कभी न कभी समस्या का कारण बन सकता है। इसलिए हमें सदैव ही सबके लिए अच्छा सोचना चाहिए। बुरा सोचने या करने से हमारे जीवन में क्या क्या प्रभाव पड़ते हैं आइए जानते हैं-
बुरा सोचने के नुकसान – Bura Sochne Ke Nuksan – Side Effects of Negative Thinking
- मानसिकता का कमजोर होना
जी हाँ, यह एक दम सही है कि यदि हम दूसरों के लिए हमेशा ही गलत ख़्याल अपने मन में रखेंगे तो इसका सीधा असर हमारी मानसिकता पर पड़ेगा। हम मानसिक रूप से कमजोर होते चले जाएंगे। यहाँ तक कि हम अपने लिए भी अच्छा नहीं सोच पाएंगे और इसका प्रभाव इस क़दर भी हो सकता है कि किसी के कुछ भी कह देने मात्र से ही हम डरने लगेंगे। शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति आगे बढ़ सकता है परन्तु मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति कभी भी जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता क्योंकि कमजोर मानसिकता वाले व्यक्ति को सब कुछ असंभव सा लगता है।
- अपने कर्म भारी करना
कहते हैं कि यदि हम किसी का बुरा कर रहे हैं या करने का सोच रहे हैं तो इससे हमारे ही कर्म भारी होते हैं अर्थात हमें इसका परिणाम भुगतना पड़ता है किसी को जल्दी तो किसी को देर से लेकिन नंबर तो सभी का आता है। क्यूँकि हमें यह लगता है कि किसी का बुरा करते हुए या फिर अगर हम किसी का हक़ मार रहे होते हैं तो हमें कौन सा कोई देख रहा है या सुन रहा है। लेकिन यह हमारी गलत विचारधारा है क्यूंकि अगर हम यह मान भी लें की कोई हमें नहीं देख रहा तो भगवान् तो है जिसकी नज़र हर पल हम पर ही है। इसलिए कहते हैं कि कुछ भी करने से पहले हमें सोच-विचार कर लेना चाहिए कि इसका क्या प्रभाव हो सकता है।
- अपने समय का दुरूपयोग
हमारा समय बहुत ही कीमती है और हमें अपने समय को कुछ सही और अच्छा सोचने में इस्तेमाल करना चाहिए न कि किसी का बुरा सोचने में। अपने जिस समय को हम अपने जीवन में आगे बढ़ने में लगा सकते हैं और समाज की भलाई के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं उसे इस तरह से व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए। एक बार जो समय हमारे हाथ से निकल गया वह फिर दुबारा नहीं आता फिर चाहे हम उसके लिए कुछ भी कीमत अदा कर दें।
- लोगों की नज़रों में गिरना
जब हम किसी के आगे किसी दूसरे व्यक्ति की बुराई करते हैं तो उस समय हम खुद को उस व्यक्ति कि नज़रों में गिरा रहे होते हैं। मैं आपको बताना चाहूँगा कि ऐसा इसलिए होता है क्यूँकि उस व्यक्ति को लगता है कि अगर यह किसी की बुराई मेरे सामने कर रहा है तो मेरी बुराई अवश्य ही किसी अन्य के आगे करता होगा। इसी कारण हम कहीं न कहीं लोगों पर से अपना विश्वास भी खो देते हैं। जब भी आप किसी से मिलें तो किसी अन्य व्यक्ति की कोई भी बुराई न करें अपितु अगर आप कुछ अच्छा बोल सकते हैं तो अवशय कहें। ऐसा करने से सभी आपका सम्मान करेंगे और आप पर विश्वास भी करेंगे।
- अपनी सफलता में रूकावट
बुरा सोचने से हम अपनी सफलता (Safalta – Success) में भी रूकावट पैदा कर सकते हैं। हम सभी अपने जीवन में कुछ न कुछ बनना चाहते हैं। और इसके लिए हमें जीवन में सभी के साथ की जरूरत होती है हम अकेले ज्यादा दूर तक नहीं जा सकते हैं। इसीलिए हमें किसी के लिए बुरा नहीं सोचना चाहिए क्यूंकि अक्सर हमारे जीवन में वह लोग काम आ जाते हैं जिनके लिए कभी हमने सोचा भी नहीं होता। तो हमेशा सभी के लिए अच्छा सोचें और सभी को साथ ले कर चलें। दोस्तों, कहते हैं ना कि हम नहीं जानते कि हमें किस समय किसकी ज़रूरत आन पड़े और कौन हमारे कहाँ काम आ जाए, यह हम नहीं जानते। तो अगर हम सदैव सबके लिए अच्छी सोच रखेंगे तो इससे हमें हमेशा ही लाभ मिलता रहेगा। हम खुद को कभी भी अकेला महसूस नहीं करेंगे।
- लोगों की नापसंद बनना
अक्सर अपने देखा होगा कि लोग ऐसे व्यक्ति से दूरी बनाने लगते हैं जो हर समय किसी न किसी के लिए गलत बोलता हो। हम लोगों की नापसंद बनने लगते हैं या कहें कि लोग हमें नज़रअंदाज़ करने लगते हैं। हमारे आते ही लोग किसी न किसी बहाने से वहां से जाने लगते हैं जैसे कि हमारे आते ही कोई बहुत ज़रूरी काम याद आ गया हो। लोग हमेशा अच्छा और मीठा बोलने वाले के साथ रहना चाहते हैं फिर चाहे वह उनका कोई अपना रिश्तेदार हो या फिर कोई मित्र हो। इसलिए सदैव लोगों की पसंद बनो न की नापसंद।
दोस्तों, एक कहावत है कि
“जैसा बिजोगे, वैसा ही काटोगे”
अर्थात, हम जैसा किसी अन्य के लिए सोचेंगे या करेंगे हमारे साथ भी ठीक वैसा ही होगा फिर चाहे उसमें कितना भी समय क्यूँ न लगे। किसी का बुरा चाह कर हम अपने लिए अच्छे की अपेक्षा नहीं कर सकते। ठीक वैसे ही जिस प्रकार कीकर का पेड़ लगाने से हम आम के फल की अपेक्षा नहीं कर सकते।
इसलिए सदा ही सबके लिए अच्छी और सकारात्मक सोच (Sakaratmak Soch) रखनी चाहिए फिर चाहे वो कोई अपना हो या पराया इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सदैव आप भी खुश रहें और दूसरों को भी खुश रखें।