बाघ और चूहा (सच्ची दोस्ती की ताकत) – हिंदी कहानी

एक घने जंगल में एक बाघ राज करता था। उसका नाम था शहंशाह। शहंशाह बहुत ही शक्तिशाली और डरावना था। जंगल के सभी छोटे और बड़े जानवर उससे डरा करते थे। वह रोज़ अपने शिकार के लिए जंगल में निकलता और अपनी ताकत से सभी को आतंकित करता। उसके मन में कोई खौफ नहीं था की कोई उसे क्या कहेगा। शहंशाह को तो बस अपनी ताकत पर गुमान था।

एक दिन, शहंशाह रोज़मर्रा की ही तरह शिकार पर निकला। उसे बहुत भूख लगी थी और उसने सोचा कि आज वह एक बड़े हिरण का शिकार करके ही रहेगा। वह तेज़ी से जंगल में दौड़ा, लेकिन आज उसे कुछ खास नहीं मिला। क्योंकि सब जानवर उसके डर से छिपे हुए थे। शहंशाह उदास होकर जंगल के किनारे की ओर बढ़ा।

वहीं, एक छोटी सी गुफा में एक चूहा रहता था जिसका नाम था चीनू। चीनू बहुत बुद्धिमान और चालाक भी था। उसने हमेशा से ही अपने से बड़े जानवरों से बचकर रहने का तरीका सीखा था। अब वह हमेशा ही अपने छोटे आकार का उपयोग करता था और अपनी चालाकी से बच निकलता था।

जब शहंशाह गुफा के पास पहुंचा, तो उसने देखा कि चीनू वहां अपने घर के बाहर खेल रहा था। शहंशाह ने सोचा, “यह चूहा तो बहुत छोटा है। अगर मैं इसे खा लूं, तो मुझे थोड़ा मजा भी आएगा।”

शहंशाह ने अपनी दहशत भरी आवाज में कहा, “हे चूहा! मैं तुम्हें खा जाऊंगा।”

चीनू ने डरने के बजाय शहंशाह की ओर देखा और मुस्कुराया। “क्या तुम मुझे खा कर खुश हो जाओगे?” उसने पूछा।

शहंशाह थोड़ी देर हैरान हुआ और चुप रहा। फिर उसने पूछा “तुम्हारी क्या औकात है? तुम तो बहुत छोटे हो।”

चीनू ने कहा, “हाँ, मैं छोटा ज़रूर हूँ, लेकिन क्या तुम जानते हो कि मैं तुमसे ज्यादा बुद्धिमान हूँ?”

शहंशाह को यह सुनकर बहुत गुस्सा भी आया। “बुद्धिमान? तुम मुझसे ज्यादा बुद्धिमान नहीं हो सकते।”

चीनू ने मुस्कुराते हुए कहा, “अगर तुम मुझे आज यहाँ से जाने दोगे, तो मैं तुम्हें एक बहुत बड़ा रहस्य बताऊंगा।”

शहंशाह को जिज्ञासा हुई। “क्या रहस्य है? जल्दी बताओ।”

चीनू ने कहा, “हमारे इस जंगल में एक ऐसा स्थान है जहां तुम्हें खाने के लिए बहुत सारे बड़े और छोटे जानवर मिलेंगे। जिन्हे खा कर तुम्हरी भूख शांत होगी। अगर तुम मुझे जाने दोगे, तो मैं तुम्हें उस स्थान का रास्ता बताऊंगा।”

शहंशाह ने सोचा, “यह तो सच है। मुझे भूख तो बहुत लगी है। अगर यह चूहा मुझे कोई रास्ता बताता है, तो आज मैं इसे जाने देता हूँ।”

“ठीक है,” शहंशाह ने कहा, “तुम्हें जाने दिया जाएगा, लेकिन जल्दी बताओ।”

चीनू ने जल्दी से बताया, “जंगल की उत्तर दिशा में एक बड़ी नदी है। उस नदी के पास एक घास का मैदान है। वहां बहुत सारे जानवर आते जाते रहते हैं। तुम वहाँ जाकर शिकार कर सकते हो।”

शहंशाह ने कहा, “ठीक है, मैं वहाँ जाऊँगा। लेकिन तुम ध्यान रखना इस बात का, अगर तुमने मुझसे झूठ कहा, तो मैं तुम्हें खोजकर खा जाऊंगा।”

चीनू ने कहा, “मैंने झूठ नहीं कहा। तुम बस वहाँ जाकर देखो।”

शहंशाह ने चीनू को वहां से जाने दिया और जंगल की उस नदी की ओर चल पड़ा। चीनू ने राहत की सांस ली और सोचा, “कितना अजीब है, एक बड़ा बाघ मेरे सामने आया और मैंने उसे मूर्ख बना दिया।”

कुछ समय बाद, शहंशाह नदी के पास पहुँचा। वहां तो सच में बहुत सारे जानवर थे। फिर उसने वहाँ शिकार किया और अपनी भूख मिटाई। लेकिन उसने चीनू की बात पर गौर नहीं किया था।

उधर, चीनू ने अपनी गुफा में लौटकर अपने दोस्तों को बताया कि कैसे उसने बाघ को मूर्ख बनाया। सभी जानवर उसकी बुद्धिमानी की तारीफ करने लगे। चीनू ने कहा, “कभी-कभी छोटे आकार का फायदा उठाना ही सही होता है।”

और फिर कुछ समय बाद, शहंशाह जंगल में और भी शक्तिशाली बन गया, और उसका घमंड बढ़ता चला गया। वह जंगल में हर किसी को डराने और धमकाने लगा। चीनू ने देखा कि अब शहंशाह और भी निर्दयी हो गया है।

एक दिन, चीनू ने तय किया कि उसे शहंशाह से बात करनी चाहिए। उसने शहंशाह के पास जाकर कहा, “हे शहंशाह, तुम तो जंगल के राजा हो, तो तुम्हें हमेशा दूसरों को डराने धमकाने की जरूरत नहीं है।”

शहंशाह ने कहा, “तुम्हें क्या लगता है? मैं सबसे ताकतवर हूँ।”

चीनू, ” सुनो शहंशाह ताकत का यह मतलब कभी नहीं होता की तुम हमेशा दूसरों को परेशान करो। सच्चा राजा वही है जो अपने लोगों की सुरक्षा करे और उनकी बात सुने।”

शहंशाह ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और चिढ़ते हुए कहा, “तुम्हें मेरी परवाह नहीं करनी चाहिए। मैं वही करूंगा जो मुझे सही लगेगा।”

लेकिन चीनू ने हार नहीं मानी। उसने शहंशाह को समझाने की कोशिश जारी रखी। “यदि तुम हमेशा दूसरों को डराते रहोगे, तो एक दिन सब तुम्हें अकेला छोड़ देंगे।”

शहंशाह ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं कभी अकेला नहीं रहूँगा। मेरे पास मेरी ताकत है।”

लेकिन चीनू ने कहा, “याद रखो, ताकत हमेशा जीत नहीं सकती।”

कुछ दिनों बाद, जंगल में एक बड़ी समस्या आई। एक शिकारी आया जो जानवरों का शिकार करता था। उसने कई जानवरों को पकड़ लिया। शहंशाह ने सोचा कि वह इस शिकारी का सामना करेगा, लेकिन उसने अपने दोस्तों से मदद नहीं मांगी।

जब शिकारी ने शहंशाह को देखा, तो उसने एक तीर चलाया। शहंशाह ने अपने शिकार की ताकत का इस्तेमाल किया, लेकिन शिकारी की चालाकी ने शहंशाह को हराया। शिकारी ने उसे पकड़ लिया और उसे एक जाल में डाल दिया।

जब चीनू ने यह देखा, तो उसने सोचा कि अब समय है कि उसे शहंशाह की मदद करनी चाहिए। उसने जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा किया और कहा, “हमें शहंशाह की मदद करनी चाहिए। आखिर तो वह इस जंगल का राजा है।”

सब जानवर चीनू की बात से सहमत हो गए और शहंशाह को बचाने के लिए निकले। उन सभी ने मिलकर जाल को काट दिया और शहंशाह को आज़ाद कर दिया। शहंशाह ने चौंकते हुए कहा, “तुमने मेरी मदद की? लेकिन तुम सब मुझसे डरते थे और मैं तो तुम्हें परेशान करता रहता था।”

चीनू ने कहा, “हम तुमसे डरते थे यह सच है, लेकिन अब हमें समझ में आया कि सच्ची ताकत दोस्ती में होती है। अगर तुम हमें हमेशा डराते रहोगे, तो कोई भी तुम्हारी मदद नहीं करेगा।”

शहंशाह ने अपनी गलती मानी। “मुझे समझ में आ गया है। मैं हमेशा अपनी ताकत को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहा था।”

उस दिन से, शहंशाह ने अपने तरीके बदले। उसने सभी जानवरों को डराना बंद कर दिया और उनके साथ मिलकर रहने लगा। चीनू और शहंशाह ने एक मजबूत दोस्ती बनाई। जंगल में शांति स्थापित हुई और सभी जानवर खुश रहने लगे।

इस प्रकार, शहंशाह ने सीखा कि सच्ची ताकत दोस्ती और सहानुभूति में होती है, न कि डराने में। और चीनू ने साबित कर दिया कि छोटे आकार में भी बड़ी बुद्धिमानी हो सकती है।

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